पानी है जब तक, जीवन है….
बसता है जीवन पानी में
खिलता है जीवन पानी में
सूरज का गोला भी थककर
पाए नव जीवन पानी में
नेह-निमंत्रण पा उदधि का
उतर आए चंदा भी पानी में
जग की नजर से छुपके चंदा
रूप निहारे अपना पानी में
मोती सच्चे वही ला पाए
उतर जाए जो गहरे पानी में
रंग में उसी के रंग जाए पानी
जो भी जो मिलाए पानी में
इन्सानी फितरत ये कैसी
जो ये आग लगाए पानी में
देश को धू- धू जलाने वालों
डूब मरो चुल्लू भर पानी में
मर जाए जो आँख का पानी
मिल जाए प्रतिष्ठा पानी में
अमृत है,जीवनाधार है पानी
घातक जहर न घोलो पानी में
घट पानी में या घट में पानी
फूटे घट, मिले पानी पानी में
खिले आत्मा परम तत्व संग
जैसे कमल, सरोवर पानी में
बना रहे अग- जग में पानी
सार छुपा जीवन का पानी में
पानी है जब तक, जीवन है
फिर सब मिल जाना पानी में
– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)