पानी के बुलबुले सा जीवन
पानी के बुलबुले सा
जीवन
मैं पानी की एक धार
अंजानी सी
अजनबी दिशा में बह रही
जो पीछे छूट रहा
उसे मुड़कर भी न देख रही
बहती जा रही
समय के तेज प्रवाह के साथ
यूं तो सबको याद करती
सबको साथ लिये चल रही
जो कुछ है दिल में है
सामने तो कुछ भी नहीं
चाहे अंधेरा मिले या
प्रकाश
मैं तो बिना एक पल भी रुके
चल रही
कहीं रुकी तो
क्या पता
अपने बिछड़ों का पता
वहां भी मिलेगा या नहीं
लेकिन मन में तो
एक आस है
विश्वास है
अपनी ही लहरों का साथ है
मैं खो गई तो
मेरी परछाइयां भी खो जायेंगी
फिर अंधकार में रोशनी की
क्या चाह होगी
अपना अस्तित्व ही न रहा जो
बाकी तो
दूसरों के खोये जीवन की कहां से
तलाश होगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001