पहलू-ब-पहलू
कुछ लोग गिर- गिर कर संभलते है ,
कुछ लोग संभल- संभल कर भी गिर जाते हैं ,
कुछ दूसरों की सोच पर चलते हैं ,
कुछ अपनी सोच पर आगे बढ़ते हैं ,
कुछ हालातों से लड़कर आगे बढ़ते हैं
कुछ खुद को हालातों के हवाले करते हैं,
कुछ अपनी राह खुद बनाते हैं ,
कुछ दूसरों की बनाई राह पर चलते हैं ,
कुछ ख़्वाबों में खोए रहते हैं,
कुछ हक़ीक़त से दो-चार होते हैं,
कुछ ज़िंदगी ज़िंदादिली से जीते हैं,
कुछ जीते जी ज़िंदा लाश बन कर रह जाते हैं।