Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2021 · 1 min read

‘पहचान’

‘पहचान’
°°°°°°°°

आया,’पहचान’ जानने का वक्त;
‘पहचान’ जानो अब,तुम हमारी;
हमको है , अपनी ही राष्ट्र प्यारी;
हम निज भारत के हैं,’राष्ट्रभक्त’;
आया, पहचान जानने का वक्त।
सबकी होती है, अपनी पहचान;
जो छुपी, निज बात-व्यवहार में;
ये तो दिखता, मानव के प्यार में;
बच्चों को सदा, अपना नाम देते;
माता-पिता ही,जीवन में शुरू से;
फिर वे,पहचान पाते निज गुरु से;
बड़े हो पहचाने जाते,शूट-बूट से;
माता-पिता को भी,पहचान मिले;
सदा ही,निज प्यारे पूत-कपूत से;
मानवता की, ऐसी पहचान नहीं;
जो कोई मानव का,पहचाने रक्त;
अपने दुश्मन पे,सदा नजर रखो;
उसे पहचान तू,रहो उससे सख्त;
आया, ‘पहचान’ जानने का वक्त।
खुशबू से,पहचाने जाते हर फूल;
दोषी की पहचान है,उसकी भूल;
हरेक कवि को , पहचान दिलाए;
काव्य जो रचित हो,मन बहलाए;
दोस्ती है, पहचान की सही डगर;
हाथ लकीर से भी, पहचाने शहर;
और न कोई, ‘पहचान’ समझानी;
कुछ ‘पहचान’ छुपी,हरेक कहानी;
यही सब पहचान होता, संसार में;
असली पहचान तो है,’आधार’ में।
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

स्वरचित सह मौलिक
……✍️पंकज ‘कर्ण’
…………..कटिहार।।

Language: Hindi
5 Likes · 530 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from पंकज कुमार कर्ण
View all
You may also like:
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
Sadhavi Sonarkar
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
अखंड भारत
अखंड भारत
विजय कुमार अग्रवाल
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
इंसान VS महान
इंसान VS महान
Dr MusafiR BaithA
तू होती तो
तू होती तो
Satish Srijan
सब अपने नसीबों का
सब अपने नसीबों का
Dr fauzia Naseem shad
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
Ranjeet kumar patre
आँखे मूंदकर
आँखे मूंदकर
'अशांत' शेखर
मेरा आंगन
मेरा आंगन
Vishnu Prasad 'panchotiya'
क्या सत्य है ?
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
चोट शब्द की न जब सही जाए
चोट शब्द की न जब सही जाए
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भले दिनों की बात
भले दिनों की बात
Sahil Ahmad
यह तो अब तुम ही जानो
यह तो अब तुम ही जानो
gurudeenverma198
*Khus khvab hai ye jindagi khus gam ki dava hai ye jindagi h
*Khus khvab hai ye jindagi khus gam ki dava hai ye jindagi h
Vicky Purohit
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
शेखर सिंह
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet kumar Shukla
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
श्रृंगार
श्रृंगार
Neelam Sharma
सिसकियाँ
सिसकियाँ
Dr. Kishan tandon kranti
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
रातो ने मुझे बहुत ही वीरान किया है
रातो ने मुझे बहुत ही वीरान किया है
कवि दीपक बवेजा
उपहार
उपहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यूँ इतरा के चलना.....
यूँ इतरा के चलना.....
Prakash Chandra
🌷साथ देते है कौन यहाँ 🌷
🌷साथ देते है कौन यहाँ 🌷
Dr.Khedu Bharti
■ एक कविता / सामयिक संदर्भों में
■ एक कविता / सामयिक संदर्भों में
*Author प्रणय प्रभात*
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विमला महरिया मौज
Loading...