पहचान हिंदुस्तान की ( कविता)
सदियों बाद खुशियों की
दीपावली है हिन्दूओं की
अयोध्या में विराजित हुए
राम लक्ष्मण और जानकी
सफल हुआ जीवन हमारा
जीत हुई है फिर धर्म की
थम गया संघर्ष बलिदान
इच्छा पूर्ण हर राम भक्त की
आजाद भारत में पहली बार
दिवाली आई सच्ची जीत की
अयोध्या के दर्शन को लेकर
जाग्रित अभिलाषा सबकी
जयकारे गूँज रहे चहुँदिश
जय हो प्रभु सीता राम की
पहला दीपपर्व सरयू तट पर
रोशनी पाँच लाख दीप की
विश्व रिकार्ड़ रचा गया है
जगमग शोभा राम पैड़ी की
युगों युगों तक होगा गुणगान
योजना सफल सरकार की
अब अधिक दायित्व बनता
साकार हो राम राज्य की
भव्य दिव्य मंदिर निर्माण हो
पहचान बने हिन्दुस्तान की।
राजेश कौरव सुमित्र