“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
जिसको आदत है वो तन्हा रह लेगा।
शांत झील में दिल के टुकड़े मत फेंको।
इनसे पचकुट्टे खेलो मन बहलेगा।।”
■ प्रणय प्रभात ■
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
जिसको आदत है वो तन्हा रह लेगा।
शांत झील में दिल के टुकड़े मत फेंको।
इनसे पचकुट्टे खेलो मन बहलेगा।।”
■ प्रणय प्रभात ■