पल पल बीत रहा जीवन
पल पल बीत रहा जीवन, रीत रहा यौवन धन
कालचक्र चल रहा निरंतर खोल जरा अंतर्मन
बीत गया इतिहास हो गया अब लिख आगे की गाथा
आने वाले कल को साधो दूर करो हर वाधा
हर पल नया नवेला है तू भी कहां अकेला है
साथ समय के कदमताल कर, ये दुनिया का मेला है
सुख दुख आते हैं जाते हैं ,नहीं कोई स्थाई है
सीख ले हर हाल में रहना ,जीत उसी ने पाई है
अंतर्मन का तार न टूटे, पल पल का आनंद न छूटे
प्यार मोहब्बत और खुशी का, हर दम ही फव्वारा फूटे
आज भी तो कल हो जाएगा,
कल भी फिर कल हो जाएगा
करना है इस पल ही कर ले, कल न जाने कब आएगा
छोड़ उदासी आलस जड़ता खुद को नया बना ले
बीत रहा जो पल पल है गीत सार्थक गाले