“परोपकार के काज”
“परोपकार के काज”
झन करव तुमन भईया
जंगल झाड़ी के नाश,
अही ह जम्मो के आय
जिनगी के आश।
रुखराई जंगल झाड़ी करथे
परोपकार के काज,
सुघ्घर हवा अउ निर्मल पानी
अही म टिके समाज।
“परोपकार के काज”
झन करव तुमन भईया
जंगल झाड़ी के नाश,
अही ह जम्मो के आय
जिनगी के आश।
रुखराई जंगल झाड़ी करथे
परोपकार के काज,
सुघ्घर हवा अउ निर्मल पानी
अही म टिके समाज।