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20 Apr 2022 · 1 min read

परेशान

मैं आज का मानव हूं जो कहना बहुत कुछ चाहता है पर कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं। कोई कुछ सुनना भी नहीं चाहता। किससे बाटूं मैं अपने दुख दर्द, अपनी पीड़ा, अपने मन की व्यथा। मेरे चेहरे की तरफ आंख उठाकर देखने की भी किसी को फुर्सत नहीं। मैं रो रहा हूं। मेरी आंखें रो रही है। मेरा दिल रो रहा है। मेरी आत्मा रो रही है। मेरा रोम रोम एक पीड़ा के पड़ाव से दर्द से कराहता हुआ गुजर रहा है और जार जार रो रहा है। हे ईश्वर! अब तो तेरा ही आसरा है। तू ही अपनी संतान को संभाल। इस दुनिया में अपना दुख बांटने के लिए किसी को भाड़ा देने के लिए मेरी जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं है। हर तरह से कंगाल हूं मैं। बेहाल हूं मैं। हे प्रभु! मुझे अपनी शरण में ले लो। इस दुनिया से तो सच में बहुत ही ज्यादा परेशान हूं मैं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
111 Views
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