परेशान सा क्यूं है
हर तरफ मची ये कोहराम सा क्यू है ।
चैन नही आंखो मे ये थकान सा क्यूं है ।
हमको लगती ये जिंदगी श्मशान सा क्यूं है ।
हर देश मे हर शख्स परेशान सा क्यूं है ।
पहले जैसे अब दिल मे प्यार सा क्यूं न है ।
यहां होती आदमी -आदमी मे ये तकरार सा क्यूं है ।
आज फिर ये सूर्य होता ढलान सा क्यूं है ।
हर कोने मे ये कोरोना की पहचान सा क्यूं है ।
हर शख्स यहां नादान सा क्यूं है ।
वो देखते है हमको ऐसे ये अंजान सा क्यूं है ।
हर देश मे हर शख्स परेशान सा क्यूं है ।
स्वच्छ रहे हम स्वस्थ बने हम ।
फिर भी ये अंधकार सा क्यूं है ।
वो कहेंगे क्या हमसे बेजुबान सा क्यूं है ।
ये आंखे उनकी बोलती कोई सितार सा क्यूं है ।
हर देश मे हर शख्स परेशान सा क्यूं है ।
सोये है बिस्तर पर आंख मूंदे ।
दिलो मे सन्नाटे की चीत्कार सा क्यूं है ।
पहले जैसे अब कोई शान क्यूं न हो ।
ये अफनाहट के जैसा निशान सा क्यूं है ।
हर देश मे हर शख्स परेशान सा क्यूं है ।
अफरा-तफरी मची हुई है शहर गांव आने की ।
आखिर क्यूं लोगो को पड़ी अपनी जान की क्यूं है ।
हमको लगती ये धरती वीरान सा क्यूं है ।
हर देश हर शख्स परेशान सा क्यूं है ।
?? Rj Anand Prajapati ??