परेशान जनता
आतंक तो आतंक है
वह चाहे उनका
या हमारा हो!
क्या कोई ग़ज़ल गाए
चारों ओर ऐसा
जब नज़ारा हो!
एशिया से लेकर
अफ्रीका तक जो
मची है इन दिनों!
इतनी लूट-मार में
अवाम का कैसे
अब गुज़ारा हो!
Shekhar Chandra Mitra
आतंक तो आतंक है
वह चाहे उनका
या हमारा हो!
क्या कोई ग़ज़ल गाए
चारों ओर ऐसा
जब नज़ारा हो!
एशिया से लेकर
अफ्रीका तक जो
मची है इन दिनों!
इतनी लूट-मार में
अवाम का कैसे
अब गुज़ारा हो!
Shekhar Chandra Mitra