परिस्थितियो के सामने सबको झुकना पड़े
चाहे पत्थर तोड़ना पड़े, चाहे खून जलाना पड़े ।
परिस्थितियो के तो सामने सबको झुकना पड़े ।
देवता भी न तो बच सके जब हम ग्रन्थ उठा के पढे ।
कैकेयी के सामने बैठे दशरथ बेसुध पड़े ।
उनको भी तो झुकना पड़ गया वरदानो के पीछे ।
चाहे किसी को मारना पड़े या फिर सिर कटवाना पड़े ।
परिस्थितियो के सामने तो सबको झुकना पङे ।
गरीबी -लाचारी और मजबूरी करती है सब कुछ ।
पेट भरने के लिए क्या -क्या न करना पड़े ।
भस्मासुर को दे डाले शिवशंकर वरदान ।
था वो इतना कामी की बन बैठा नादान ।
पाकर उनसे वरदान सोचा गौरी को बना लूं अपनी जान ।
दौङा द्रुत भस्मासुर स्वयंभू की ओर ।
स्वयंभू भी तो लगे भागने मचाके शोर ।
देख हरि ने माया किन्हो और बचाओ जान ।
नाच के उसके ता ता थईया कर दिये भस्मासुर को भस्म ।
चाहे हो सामने कितना भी खुशिया खड़े ।
परिस्थितियो के सामने तो सबको झुकना पड़े ।
धूप मे जलकर करता मजूरी क्योकि है वो उसकी मजबूरी ।
अपनी इच्छा की पूर्ति करने मे है वो संलग्न ।
और चलती जाए समय की धुरी ।
58 दिन भीष्म पितामह रहे शर शैय्या पर पड़े ।
क्योकि वह थे अपने वचनो पर अङे ।
परिस्थितियो के सामने सबको झुकने पड़े ।
??Rj Anand Prajapati ??