*”परिवार”*
परिवार
जीवन की सौगात लिए ,खुशियों का खजाना है।
एक दूजे संग साथ निभाते, हिम्मत बंधाते हैं।
नियम, धर्म ,अनुशासन ,संस्कार ज्ञान बताते हैं।
रिश्ते नातों से आत्मीय बंधन मजबूत बन जाते है।
अटूट विश्वास ,प्रेम से रिश्तों में प्रगाढ़ ले आते हैं।
सुनहरी यादों का पैगाम लिए,मन की झोली भर जाते हैं।
आंखों से ओझल नही हो, उड़ता हुआ सा बादल बन जाते हैं।
बरसों की यादों में संजोये हुए ,रेशम की डोरी में बंध जाते हैं।
नाजुक दौर में भी टूट न जाये, कसमे वादों में बांध जातें हैं।
अटूट विश्वास के हाथ बढाकर, फिर से जुड़ कर निखर जाते हैं।
एक अधूरे से ख्वाबों को पूरा करने उम्मीद का दीप जलाते हैं।
ये जीवन परिवार के आशाओं संग बंधी हुई है लेकिन देर से जाना है।
खुशनसीब होते हैं ,जिन्हें परिवार का स्नेह व आशीष मिलता रहा है।
परिवार की दुआओं का असर है ,जो हंसते खेलते ये जीवन बिताते हैं।
शशिकला व्यास