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1 Jun 2024 · 1 min read

परिमल पंचपदी—

परिमल पंचपदी— नवीन विधा
01/06/2024

(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।

हंगामा।
क्या करेगा मामा।
लुटिया डूबी जा रही है।
पहले अपनी गृहस्थी बसाये,
बुढिया उसे कुछ ज्यादा ही चढ़ा रही है।।

(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।

हार्दिक
शुभकामनाएं।
हो परिमल भावनाएं।।
यूँ तो तुम इसके लायक नहीं,
केवल औपचारिकताएं हैं ये शाब्दिक।।

(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।

हूबहू।
संस्कारों की खाल,
आई ओढ़ के नयी बहू।
पीने को बैठी तैयार हर पल,
ससुराल वालों का ताजा व निर्दोष लहू।

(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।

हैरानी
अब नहीं होती।
अभ्यस्त हो चुका है मन
दंगा, दुर्घटना, मृत्यु सुनकर
इस पड़ाव पर आके ये तो होना ही है।

— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलास छंद महालय

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