परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
30/07/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
योजन।
रहा प्रलोभन।।
अपरिग्रही बनना था।
संचयन का सिरमौर बना हूँ,
पछताता हूँ निर्लिप्त पथ में चलना था।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
भोजन।
भाव पूर्वक हो।
शुद्ध ईश्वरोन्मूलक हो।।
सात्विक शाकाहारी भोज्य पदार्थ
तन मन निरामयता से होता रोशन।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
लोचन।
चंचल गंभीर।
लुभावना महा रोचन।।
सृष्टिसार की दृष्टि परिलक्षित,
अद्वितीय अद्भुत अद्यतन है शोभन।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
मोचन
झंझटों से कर
निर्द्वन्द्व अंतःकरण दे
विशुद्धता भावनाओं में भरना
हे परमेश्वर ! मुझे अपने जैसा बना
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय