*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
19/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
ठान लो।
फिर संज्ञान लो।।
कभी न होगी कठिनाई।
अपने तरीके स्वयं ही बनाओ,
तभी असफलताओं की होगी भरपाई।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
ज्ञान लो।
आध्यात्मिकता का।
व्रत रखो सात्विकता का।।
परम लक्ष्य पर विचार करो,
मैं कौन हूँ ? प्यारे बस यही पहचान लो।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
जान लो।
ये जीवन है क्या,
गूढ़ उद्देश्य संज्ञान लो।।
अनुभव की खिड़की खुली रखो,
ईश्वर है, अंतःकरण से बंदे मान लो।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
तान लो
प्रेम की छतरी
हर कोई समाता जाये
यहीं बसेरा बना के रह जाये
पवित्र वातावरण निर्मित कर चलो।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय