*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
18/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
ये गंदे।
होते हैं मुस्टंडे।।
काम करें चमचागिरी।
अनैतिकता की सुपारी लेते हैं,
जिंदगी बद्दुआओं से रहती सदा घिरी।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
ये बंदे।
अच्छा ही करते।
लोगों की पीड़ाएँ हरते।।
बुरे वे जो घर चलाने के लिए,
बहाना बनाकर माँगते है यहाँ चंदे।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
ये धंधे।
चौक चौराहे में,
करते अकल के अंधे।
ताश जुआ खेलने वाले कभी तो,
पिता के जनाजे को भी नहीं दे पाते कंधे।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
ये चंदे
अच्छा तरीका है
काला को सफेद करते
इसी को कहा है सयानों ने कभी
सच है आम के आम और गुठली के दाम।।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय