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16 Aug 2024 · 1 min read

*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*

परिमल पंचपदी— नवीन विधा
16/08/2024

(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।

भारती।
विद्या को बाँटती।
वरदायिनी हे विमला।
तू अनुकूलता की देवी है माता,
स्वर शब्द लय देती साधक को निश्छला।।

(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।

आरती।
शारदा कुमुदी।
वंद्या वसंत शुक्ल सुदी।।
सुमुखी ब्रह्मचारिणी वागीश्वरी,
भवमोचनी वरदायिनी तू ही तारती।।

(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।

ताकती।
छंद महालय,
नित्य विराजित झाँकती।।
सृजन अभ्यास की अनुकूलता,
अपने प्रिय साधकों पर हे माँ वारती।।

(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।

थामती
हंसवाहिनी है
बुद्धिदात्री निर्मलता दे
चंद्रकांति जीवन में है भरती
हे आद्या त्रिभुवनेश्वरी मातु सरस्वती।।

— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय

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