Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

परिमल पंचपदी – नवीन विधा

परिमल पंचपदी— नवीन विधा

यह नवप्रस्तारित, नव विधा, पाँच पंक्तियों में लिखा जाने वाला वार्णिक पंचपदी है। इसे क्रमशः 3,6,9,12,15 वर्ण संख्या पर लिखा जाता है। प्रथम पंक्ति की शुरुआत तीन वर्ण युक्त शब्दों से की जाती है। तीन वर्णों में (111 सपने ), (1-11 तू नहीं ) (11-1 आज भी ) तरह के शब्द भी रख सकते हैं।भावों में सरसता एवं गेयता अबाधित हो इसका ध्यान रहे। परिमल पंंचपदी के लेखन की चार विधियां हैं।

उदाहरण सहित विधान —

(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।

त्रासदी।
लिख पंचपदी।।
प्रारम्भ बीच अद्यतन।
कर ले अंकित हर संवेग को,
अद्भुतालय पर अब से छंद सृजन।।

(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।

त्रैलोक्य।
जिसकी है सत्ता।
अवज्ञा करेगा क्या पत्ता।।
किसी को वह साहस दिया नहीं,
आविष्कार ही नहीं किया बगावती रोक्य।।

(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।

त्रिशूल।
स्वर व्यंजन का,
नाद नृत्य का आदि मूल।
देवाधिदेव महादेव का अस्त्र,
पंचाक्षरी से कर लो अपने अनुकूल।।

(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।

त्रुटियाँ
अवसर देते
चिंतन को बदलने का।
ये आभास कराते हर जीव को
एक है पूर्ण ब्रह्म, शेष सभी अपूर्ण हैं।

— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलास छंद महालय

64 Views

You may also like these posts

!..........!
!..........!
शेखर सिंह
आखिर मुझे कहना है संवेदना है वो वेदना है
आखिर मुझे कहना है संवेदना है वो वेदना है
Sandeep Barmaiya
मुफ्त राशन के नाम पर गरीबी छिपा रहे
मुफ्त राशन के नाम पर गरीबी छिपा रहे
VINOD CHAUHAN
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
Shashi kala vyas
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
देवी महात्म्य चतुर्थ अंक * 4*
देवी महात्म्य चतुर्थ अंक * 4*
मधुसूदन गौतम
2741. *पूर्णिका*
2741. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*** यार मार ने  कसर ना छोड़ी ****
*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
*प्रणय*
*फिर से जागे अग्रसेन का, अग्रोहा का सपना (मुक्तक)*
*फिर से जागे अग्रसेन का, अग्रोहा का सपना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
शब्द रंगोंली
शब्द रंगोंली
लक्ष्मी सिंह
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Arvina
कुछ अजीब से वाक्या मेरे संग हो रहे हैं
कुछ अजीब से वाक्या मेरे संग हो रहे हैं
Ajad Mandori
రామయ్య మా రామయ్య
రామయ్య మా రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
Sonam Puneet Dubey
होके रुकसत
होके रुकसत
Awneesh kumar
बेटीयांँ
बेटीयांँ
Mansi Kadam
प्रिंट मीडिया का आभार
प्रिंट मीडिया का आभार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
शहीदो की पुकार
शहीदो की पुकार
Mukund Patil
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
sushil yadav
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे बस में नहीं मेरे जज्बात हैं अब
मेरे बस में नहीं मेरे जज्बात हैं अब
Jyoti Roshni
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
सच्ची कविता
सच्ची कविता
Rambali Mishra
यहाँ गर्भ जनता है धर्म
यहाँ गर्भ जनता है धर्म
Arun Prasad
"तुम्हें याद करना"
Dr. Kishan tandon kranti
नेम प्रेम का कर ले बंधु
नेम प्रेम का कर ले बंधु
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मित्रता मे बुझु ९०% प्रतिशत समानता जखन भेट गेल त बुझि मित्रत
मित्रता मे बुझु ९०% प्रतिशत समानता जखन भेट गेल त बुझि मित्रत
DrLakshman Jha Parimal
Loading...