*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
15/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
यज्ञेश।
नमन देवेश।
आप शुभिच्छा पूरी करें।
विश्व में शांति स्थिरता को प्राप्त हो,
हर हृदय में क्षमा-प्रेम-करुणा भरें।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
आवेश।
खत्म न हो कभी।
राष्ट्र-प्रेम जो भी है अभी।।
हिंदी और हिंदुत्व से नाता रहे,
अनंत ऊर्जा का कर हे ईश समावेश।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
आदेश।
महापुरुषों का,
चाहे कोई हो परिवेश।।
जीवन भर मैं सदैव मानूँगा,
राष्ट्र भक्ति दे हम सबको श्री व्योमकेश।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
लंकेश।
पराजित करो
राष्ट्रीयता खतरे में है
जागो भारतवंशियों अब जागो
अंग्रेजियत को समूल नष्ट कर डालो।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय