*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
13/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
गैया।
ढ़ूँढ़ती कन्हैया।।
हो चुका है अतिक्रमण।
गोचारण भूमि भी खत्म हो चुकी,
सड़क में करती दिखाई देती भ्रमण।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
भैया।
राखी में आऊँगी
कीमती तोहफा पाऊँगी।
भाभी का बहुत सा प्यार पाकर,
आपके लिखे सुनूँगी कुण्डलिया सवैया।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
नैया।
निकालो भँवर,
हे मीठी मुरली बजैया।
एक तेरा ही सहारा है मुझको,
हे नटवर नागर हे धेनु के चरैया।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
मैया
मेरी बड़ी प्यारी
आज याद आती हैं मुझे
जब भगवान के पास जा चुकी
कोई प्यार नहीं करता मैया की तरह।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय