*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
05/06/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
सियासी
केवल आभासी।।
हर बार अलग होता।
आशाओं पर बिजली गिरती है
कोई हँसता तो कोई सिर धुनता रोता।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
तैयारी।
सब धूल मिले।
कहीं कहीं चेहरे खिले।।
सत्ता सुख बहुतों के छूट गये,
अब होगी समीक्षा जीत हार है दुधारी।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
सपने।
साकार हुए हैं,
नेताजी जीते हैं अपने।।
मिलीजुली ये सरकार बनेगी,
पूर्ण बहुमत की माला को छोड़ जपने।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
स्वीकार
प्रयासों में कमी ।
या कोई भी दूसरा कोण
जो ले गया पराजय तक तुम्हें
बैठकर एकांत में चिंतन कर कभी।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलास छंद महालय