*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
07/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
क्रमांक।
बदले तुल्यांक।।
शास्त्र की श्रेष्ठ संकल्पना।
जिसने विज्ञान को नई दिशा दी,
ऊष्मा एवं गति परिवर्तन की अल्पना।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
शशांक।
घटता-बढ़ता।
ज्योतिष पंचाग गढ़ता।।
काव्य उपमाओं का शीर्षस्थ वह,
अपनी सूरत पर स्वीकारा है मृगांक।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
दिनांक।
आज भी याद है,
जब पाया मैंने उच्चांक।
प्रतियोगी बनता चला गया था,
अति शुभ था नाम जन्मतिथि का मूलांक।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
पूर्णांक
छूने की कोशिश
करता ही जा रहा था मैं
बहुत दिनों के बाद पता चला
अनेक विषयों में अपूर्ण भी होता रहा।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय