*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
31/07/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
दीवार।
मत कर यार।।
फिर से शुरुआत करें,
पहले पृष्ठ से वो प्रेम कहानी,
फिर वैसे ही नित्य हम ज्यादा बात करें।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
अंबार।
है सुविधाओं का।
शिकार हूँ दुविधाओं का।।
क्या सब उम्र भर मिल पायेंगे,
अगर नहीं तो जीना होगा मेरा दुश्वार।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
चीत्कार।
गूँजने लगी थी,
कोई बना फिर शिकार।।
सन्नाटे में गुम हुई सिसकियां,
खबर छपा फिर सामूहिक बलात्कार।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
स्वीकार
अपनी गलती
तेरी ये बुरी आदत है
बहस करने लगता है सदा
तू निर्दोष हो ही नहीं सकता प्यारे कभी।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय