पदावली
सृजन पंक्ति
देख तुझे मैं धार हृदय ऐसे डोलूं।
देख तुझे मैं धार हृदय ऐसे डोलूं ।
नाथ गयी मैं हार नयन राहें तकते,
शब्द हुए हैं मौन अधर कैसे खोलूं ।।
कभी मिलों तो आप मुझे सपना देखूं,
अश्रु धार से कमल चरण को मैं धोलूं।
भक्ति भाव को रोम रोम में भर कर के,
मोह जगत का छोड़ ईश तेरी हो लूं ।।
मूरत बसती नैनों में तेरी कृष्णा,
तनमन अपने तेरा प्रेम पिरोलूँ।
दर्शन देने आओ अब तो आस लगी,
अँखिया पूछे तुझ बिन अब कितना रो लूं।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’