पदावली
पदावली
सृजन पंक्ति- करूँ ध्यान मैं हरपल भगवन तेरा ही
करूँ ध्यान मैं हरपल भगवन तेरा ही ।
भक्ति का वरदान मिले विधाता सुध लो,
प्रभु दर्शन को पा मान बढ़े मेरा ही ।।
स्वार्थी बंधन में हैं राहें उलझी सी,
बढ़ता जाता कष्टों का नित घेरा ही ।
कहने को सब अपने दिखें पराये भी,
यही लगाते सदा उलझन का डेरा ही ।।
नाच नचाये हरपल ये संसार खूब,
चारों तरफ लगा माया का फेरा ही ।
करो भलाई मिले बुराई रीत यही,
अंधकार फैला जगत में घनेरा ही ।।
आओ मेरा हाथ थाम लो ईश्वर तुम,
जोत जले अंतस हो ज्ञान सवेरा ही ।
कौन कहे अपना तुम बिन मुझको रे,
कहते सारे जग है रैन बसेरा ही ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’