पदावली
भाव पदावली
मुझको अब विस्तार दिलाना।
उर में लगे हैं शूल मेरे,
ईश शांति के फूल खिलाना।।
कर्म इंद्रियां वश हो जाएं, बस चिंतन की राह दिखाना।
चित बने मेरा शुद्ध सदैव, सांसारिक का मोह मिटाना।।
भक्ति योग में मैं लग जाऊं,कर्मयोग कभी नहिँ डिगाना।
पापाचरण से दूर रहूं मैं, कर्म के मुझे भेद सिखाना।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’