पथ अँधेरे प्रेम की
पथ अँधेरे प्रेम की,
नेह का दीपक जला लूँ तो बढ़ूँ।
दूरियाँ मुझसे तेरी,
हमको है कलपा रही,
नाप लूँगा मैं ये फासले,
हौसले साथ हैं दे रहे।
जब तक नाप न लूँ ये दुरियाँ,
तेरी ओर पथ अग्रसर ही रहूँ।
त्याग दूँगा सारे गिले,
प्रेम का पथ बना कर ही रहूँ,
चाहे कुछ हो जाये भले।
नेह का दीपक जला लूँ,
तब ही तुमसे हैं मिलूँ।
—————————— मनहरण