पत्नीजी मायके गयी,
पत्नी जी मायके गयी,
संग सुत गया ननिहाल।
सूना सूना लग रहा,
घर आँगन चौपाल।
घर आँगन चौपाल
सकल घर में सन्नाटा।
पता अब लगा भाव क्या,
नोन तेल या आटा।
जब तक घरनी संग में
तभी तक चोखो रंग।
बेरंग सब कुछ चहुं दिखे,
घर लगता बेढंग।
बेशक पत्नी शार्प हो,
तेज धार सी नाइफ।
एव्री थिंग्स बेकार है,
अगर नहीं घर वाइफ।
सुनियो लोगों गौर से,
कदर करो निज नारि।
जिसको जैसी भी मिली,
मानो प्रभु उपकार।
अगर लुगाई न जमैं,
तो बनो मोदी योगी।
कम से कम इस देश की,
उन्नति तो होगी।
मैं अदना सी सोच का,
न बनूँ बड़ा हजूर।
पत्नी बच्चों संग रहूं,
नहीं रहना कभी दूर।
सतीश सृजन, लखनऊ.