पत्थर की एक मूरत से
मैं बोल रही हूं
वह कुछ सुन ही नहीं रहे
न कुछ बोल रहे
न कोई जवाब दे रहे
न चेहरे पर कोई भाव
न होठों पर कोई मुस्कुराहट
न सामने वाले से कोई वास्ता
न उसकी भावनाओं का ख्याल
कुछ लोग सच में
पत्थर की एक मूरत से
होते हैं पर
भगवान नहीं होते
इंसान भी नहीं होते
पशु भी नहीं होते
शैतान भी नहीं होते
संवेदनशीलता जिन्हें छूकर
नहीं गुजरे
ऐसी मोटी चमड़ी के
पैर रगड़ लो बस
जिनपर ऐसे
पायदान होते हैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001