पता मजनूँ को था इक दिन उसे नाकाम होना था
पता मजनूँ को था इक दिन उसे नाकाम होना था
उसे लैला की उल्फ़त में फ़क़त बदनाम होना था
ये लैला जानती थी प्रीत में रुस्वाई मिलनी थी
उसे मालूम था क्या इश्क़ में अंजाम होना था
मगर फिर भी कहाँ रुकती कहानी उन्स की थी ये
उन्हें तो जान देके प्यार का पैग़ाम होना था
अगर वो छोड़ देते आशिक़ी तो जाँ नहीं जाती
उन्हें हटकर मोहब्बत से नहीं गुमनाम होना था
जॉनी अहमद क़ैस