Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2023 · 7 min read

पटेबाज़

पटेबाज़ –

पहलवान शिव हरे इलाके के मशहूर पहलवानों में शुमार थे उनके पहलवान बनने में भी अजीब बात लोंगो के बीच प्रचलित थी शिव हरे वास्तव में आदिवासी समाज मे जन्मे थे।

जब माँ कि कोख में थे तब ही उनके साथ बहुत खतनाक हादसा पेश आया उनकी माँ जंगलो में लकड़ी के लिए गयी थी आदि वासियों के समक्ष दो बातों कि बड़ी समस्या रहती थी एक पानी दूसरी लकड़ी ।

जंगलो में रहने वाले आदिवासियों के लिए तो यह समस्या कभी नही थी क्योकि जंगल का साम्राज्य सबके लिए समान है किसी के साथ भेद भाव नही होता लेकिन जो आदिवासी गांवो में रहते उनके लिए पानी के लिए अलग व्यवस्था रहती सामाज में रूढ़िवादी प्रबृत्ति के लोग ईश्वर कि समान व्यवस्था में भेद भाव ऊंच नीच का वर्गीकरण कर प्राकृतिक व्यवस्थाओं को भी उसके आधार पर बाँट लेते ।

सामाजिक ईश्वरीय व्यवस्था का परिहास ही उड़ाता शिवहरे के पिता श्यामल बहुत निर्धन थे यह भी विडम्बना सांमजिक व्यवस्था का ही था कि जातियों के अनुसार भेद भाव के चलते कथित निम्न जाति में जन्मा व्यक्ति जीवन भर दबी मानसिकता का शिकार रहता और जीवन कि उत्कृष्ठता के लिये कुछ भी करने की हिम्मत जुटाता भी तो उसे इतनी समस्याओं का सामना करना पड़ता की वह जीवन भर समस्याओं से लड़ता रहता।

शिवहरे कि सामाजिक स्थिति भी ऐसी ही थी माँ सुखिया गांव जमुई के पास जंगलो में लकड़ी बीनने के लिए गयी थी तब शिवहरे माँ कि कोख में था और सातवां महीना चल रहा था माँ सुखिया को लकड़ी बीनने में शाम हो गयी जब वह जंगल से गांव कि तरफ चलने लगी तभी पीछे से तेंदुए ने आकर आक्रमण करना चाहा सुखिया भय से बहुत तेजी से भागने लगी सुखिया आगे आगे और तेंदुआ पीछे पीछे एक तो सुखिया पेट से थी दूसरे लकड़ी का बोझ वह भागती भी तो किंतनी दूर कुछ ही दूर भागने पर वह जमीन पर गिर पड़ी और गर्भपात हो गया पीछे आता तेंदुआ जब तक सुखिया के पास पहुंचा तब तक गाँव के कुछ लोग उधर से गुजरते हुए सुखिया कि चिल्लाने कि आवाज सुनी तब सुखिया जमीन पर पड़ी प्रसव पीड़ा से छटपटा रही थी गांव के लोंगो ने शोर मचाना शुरू किया जिसे सुनकर तेंदुआ भाग गया गांव में भी सुखिया को तेंदुए के द्वारा पीछा किये जाने एव प्रसव कि सूचना फैल गयी गांव कि औरतो ने सुखिया एव बेहद कमजोर जन्मे नवजात को उठाकर गांव ले आयी।

किसी तरह से नवजात सांस ही ले सकने में सकक्षम था श्यामल के पास नवजात के इलाज के लिए ना तो संसाधन था ना ही संसाधन जुटा पाना सम्भव था ।

गांव और जंगल के मध्य एक बहुत पुराना शिव मंदिर था जिसके पुजारी गोमेद गिरी थे उनको जब मालूम हुआ कि श्यामल कि पत्नी सुखिया ने बड़ी अजीब स्थिति में एक बेहद कमजोर बालक को जन्म दिया है तो उन्होंने शयमल को बुलवाया क्योकि अक्सर श्यामल शिव मंदिर पर गोमेद गिरी के पास उठता बैठता मगर जबसे सुखिया ने नवजात को जन्म दिया था तब से वह मंदिर नही गया था ।

गोमेद गिरी का संदेश मिलते ही श्यामल मंदिर पहुंचा उंसे देखते ही गिरी जी ने पूछा शयमल भक्त बहुत दिनों से मंदिर नही आए क्या बात है ?

जबकि गोमेद गिरी को वास्तविकता मालूम थी श्यामल ने अपनी परिस्थिति का हवाला दिया गोमेद गिरी ने श्यामल को हिम्मत देते हुए कहा की इसमें चिंता एव परेशानी कि कोई बात नही यह तो भगवान शिव शंकर कि कृपा है जो तेंदुए के हमले की नीयत से सुखिया को दौड़ाने के बाद भी वह बच भी गयी और तुम्हारे कुल दीपक को जन्म दिया ।
श्यामल बोला महाराज बच्चा इतना कमजोर पैदा हुआ है कि उसके बचने कि कोई उम्मीद नही है गोमेद गिरी ने कहा देख श्यामल शिव जी ने इतनी भयानक परिस्थिति में जन्म लेने वाले की अवश्य रक्षा करेंगे।

आने वाला शिव हरे एक तरह से गोमेद गिरी ने श्यामल के नवजात का नामारण ही कर दिया और बोले यही तुम्हारे नवजात कुल दीपक का नाम होगा और हाँ मंदिर में दिन भर में एक आध लोटा गांव का कोई ना कोई शिव जी पर दूध अवश्य चढ़ा देता है उंसे मैं रोज शिवहरे के लिए एकत्र कर लूंगा तुम रोज वही दूध उसे पिलाना ।

श्यामल को गोमेद गिरी कि बातों पर कुछ भोरोस एव हिम्मत जागा वह गिरी जी का आशीर्वाद लेकर घर लौट गया ।

प्रतिदिन वह मंदिर शाम को आता गोमेद गिरी मंदिर में शिव जी के चढ़ावे के दूध को एकत्र कर रखते जिसे श्यामल ले जाता और शिवहरे को पिलाता यह सील सिला नित्य निरंतर चलता रहा पांच साल बाद एक दिन श्यामल पुत्र शिवहरे एव सुखिया के साथ मंदिर पहुंचा और शिवहरे को भगवान शिव के चरणों मे रख गोमेद गिरी से बोला महाराज यह है शिव हरे जिसे भोले नाथ पर चढ़ाए दूध ने पाला और निरोग रखा।

गोमेद गिरी ने कहा श्यामल इसे क्या बनाना चाहोगे गिरी जी के इस सवाल के जबाब में सुखिया बोल उठी उसने पति शयमल को बोलने का कोई अवसर नही दिया
बोली पुजारी जी हम चाहत है कि हमार बेटवा एतना ताक़तवर हो कि केहू से डरेके ना पड़े बड़का पहलवान ।

गोमेद गिरी बोले तुम्हारी यही इच्छा तो शिवहरे बहुत बड़ा पहलवान बनेगा यही शिव जी कि भी इच्छा है जो माँ कि चाहत होती है संतान वही बनती है।

श्यामल पत्नी एव शिवहरे को लेकर लौट गया लेकिन वह प्रति दिन सांय दूध लेने अवश्य आता धिरे धीरे शिव हरे दस वर्ष का हो गया पुनः गोमेद गिरी ने श्यामल को बुलाया और शिव हरे को नियमित मंदिर भेजने का आग्रह किया श्यामल को भला क्या आपत्ति हो सकती थी।

शिवहरे प्रति दिन मन्दिर गोमेद गिरी के पास सुबह चला जाता गोमेद गिरी उसे योग सिखाते दो वर्षों में गोमेद गिरी जी ने शिववहरे को योग विद्या में प्रवीण बना दिया था शिवहरे का शरीर विल्कुल स्प्रिंग कि तरह लचीला बना दिया।

शिव हरे अपने शरीर को जैसा चाहते मोड़ लेता गोमेद गिरी ने जब जान लिया कि शिवहरे को योगाभ्यास कि शिक्षा पूरी हो गयी है।

उन्होंने इलाके के मशहूर पहलवान जंतर सिंह को बुलाया और शिवहरे को पहलवानी के छोटे बड़े हर दांव को सीखने के लिए अनुरोध किया जंतर पहलवान ने गोमेद गिरी को बचन दिया कि वह शिवहरे को बड़ा पहलवान बनाने के लिए हर सम्भव प्रायास करेंगे लेकिन पहलवानों के लिए खुराक कि बहुत आवश्यकता होती है उसका इंतज़ाम कहां से होगा यह सवाल पूछने पर गोमेद गिरी ने जंतर पहलवान को बताया कि दिन भर में एक आध लोटा दूध गांव वाले भगवान शिव को दिन भर में चढ़ाते है वही इसका खुराक होगा और हमारे भंडारे में का प्रसाद टिकर रोज छकेगा ।

जंतर पहलवान ने गोमेद गिरी कि बात सुनकर सर पकड़ लिया बोले महाराज का कह रहे हो जो आप बताई रहे हौ शिवहरे कि खुराक पहलवानी के लिए ऊ त ऊंट क मुंह मे जीरा बराबर भी ना होत गिरी जी बोले देख भाई जंतर जब शिवहरे जन्मा रहा तब उम्मीद नाही रही कि ई बचे लेकिन भगवान शिव के चढ़ावे का लोटा भर दूध एकरे खारित अमृत होइगवा कि नाही देख कईसे बांका छोरा है शिवहरे कोऊ कह सकत है का कि सतवाँसा जन्मा रहा ऊहो एकरे माई क तेन्दुआ के डरे भगता भागत गर्भपात हुआ रहा औऱ शिवहरे समय से दुई महीना पहिले ही धरती पर टपक पड़ा तबो शिव जी के गांव वालन के दूध ऊंट के मुँह में जीरा ही रहा।

जनते हौ भगवान के भक्ति आस्था त लोग बहते जनावतन बाकिर जब कुछ अर्पण करे क होत ह तब सबसे बाऊर और सस्ता चढ़ावा अपनी आस्था खातिर भगवान के चढ़ावत है गांव वालन लोटा भर जौंन दूध चढ़ावत है ऊमा एक तिहाई पानी मिलाइके उहे दूध ऊंट के मुँह में जीरा जैसन शिवहरे कि जिनगी बनी गइल बात ई बा की भगवान के चढ़ावा के पनीओ दूध से ज्यादा ताकतवर बनीके शिव हरे के पाल दिया चिंता जिन करे जंतर फलवान इहे खुराकी शिवहरे के बड़का पहलवान बनाये ।

जंतर पहलवान के का फरक पड़े के रहे उन्हें त शिवहरे क
पहलवानी के दांव सिखावे के रहा जंतर पहलवान मन मारीक़े बोलेन जैसन गिरी जी के आदेश और शिव जी क इच्छा कालिसे शिवहरे क भेज देब इतना कह कर जंतर पहलवान चले गए ।

प्रतिदिन शिवहरे ब्रह्म मुहूर्त कि बेला में उठता गोमेद गिरी के साथ योगाभ्यास करता औऱ पौ फटने के साथ पहलवानी के दांव सीखने जंतर पहलवान के यहॉ अखाड़े में चला जाता दस बजे लौट कर आता गोमेद गिरी के साथ भंडारे का प्रसाद बनाता और शाम सूरज ढलने के साथ पुनः जंतर पहलवान के अखाड़े चला जाता उसकी दिन चर्या इतनी ही थी वह मंदिर पर ही रहने लगा ।

दो वर्ष में ही शिवहरे पहलवानी के छोटे बड़े सभी दांवो का भलीभांति जानकार हो गया और इलाके के दंगलों में हिस्सा लेने लगा पंद्रह वर्ष कि आयु होते होते शिवहरे इलाके के बड़े से बड़े पहलवानों को पछाड़ चुका था और बहुत बिरला ही शिवहरे के खिलाफ अखाड़े में उतरने कि हिम्मत कोई भी जुटा पाता।

शिवहरे जमाने के मशहूर पहलवानों में शुमार हो चुका था जमुई गांव एव दुमका जिले के लोग शिवहरे पहलवान का नाम ले कर गौरवान्वित होते गांव भी जमुई शिवहरे पहलवान के नाम से मशहूर हो गया शिववहरे के बारे में कहावत मशहूर थी ।

शिव हरे पहलवान पहलवानी कि दुनियां के ऊ ऊंट है जिन्हें जीवन भर जीरा के आसरे जीना पड़ा चाहे पहलवानी के सीखने के लिए खुराकी कि बात हो या जीवन जीने के लिए भगवान शिव के चढ़ावे का गांव वालों का एक लोटा दूध जिसमे तीन हिस्सा पानी एक हिस्सा दूध होता था ही ऊंट कि मुहँ में जीरा कि तरह अवश्य था जिसने शिवहरे को माँ सुखिया के मानसा का पहलवान बना दिया ।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर।।

नन्दलाल मणि त्रिपठी पीताम्बर गोरखपुर।

Language: Hindi
155 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
Ranjeet kumar patre
// जनक छन्द //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*देव हमें दो शक्ति नहीं ज्वर, हमें हराने पाऍं (हिंदी गजल)*
*देव हमें दो शक्ति नहीं ज्वर, हमें हराने पाऍं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कितना भी  कर लो जतन
कितना भी कर लो जतन
Paras Nath Jha
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
sushil sarna
बहुत असमंजस में हूँ मैं
बहुत असमंजस में हूँ मैं
gurudeenverma198
कहाँ लिखता है
कहाँ लिखता है
Mahendra Narayan
अनादि
अनादि
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
फीका त्योहार !
फीका त्योहार !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
"इमली"
Dr. Kishan tandon kranti
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
Seema gupta,Alwar
खुद्दारी ( लघुकथा)
खुद्दारी ( लघुकथा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बेचारे नेता
बेचारे नेता
दुष्यन्त 'बाबा'
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
कवि रमेशराज
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
राम राज्य
राम राज्य
Shriyansh Gupta
याराना
याराना
Skanda Joshi
खिलौनो से दूर तक
खिलौनो से दूर तक
Dr fauzia Naseem shad
■ कमाल है साहब!!
■ कमाल है साहब!!
*Author प्रणय प्रभात*
हिदायत
हिदायत
Bodhisatva kastooriya
"Sometimes happiness and peace come when you lose something.
पूर्वार्थ
चालें बहुत शतरंज की
चालें बहुत शतरंज की
surenderpal vaidya
सुनो द्रोणाचार्य / MUSAFIR BAITHA
सुनो द्रोणाचार्य / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
बच कर रहता था मैं निगाहों से
बच कर रहता था मैं निगाहों से
Shakil Alam
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
करवा चौथ
करवा चौथ
नवीन जोशी 'नवल'
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30  न
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30 न
Shashi kala vyas
फितरत,,,
फितरत,,,
Bindravn rai Saral
Loading...