Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2022 · 2 min read

*पटाखों की लिस्ट (कहानी)*

पटाखों की लिस्ट (कहानी)
■■■■■■■■■■■■■■■■
दीपक और उसके छोटे भाई अखिल ने मिलकर दीवाली के लिए खरीदे जाने वाले पटाखों की पूरी लिस्ट तैयार कर रखी थी। अनार ,फुलझड़ी, जमीन पर घूमने वाला सुदर्शन चक्र तथा साथ ही राकेट – बम ,चटाई – बम आदि की पूरी लिस्ट थी। सोच रहे थे ,परसों जाकर आतिशबाजी मैदान से खरीद लाएँगे । इस समय कुछ सस्ती मिल जाएगी । लिस्ट दीपक के पास जेब में रखी हुई थी।
घर से निकलकर कॉलोनी के गेट की तरफ वह बढ़ा ही था कि पड़ोस के खन्ना अंकल मिल गए । कहने लगे “बड़े भाई साहब की तबियत खराब है । उन्हें साँस लेने में तकलीफ है । ”
सुनते ही दीपक ने पहला काम राजेश जी की तबियत पूछने का किया । राजेश जी घर पर चारपाई पर अधलेटी अवस्था में थे। दीपक को देखते ही उन्होंने कहा “आओ दीपक बेटा ! ठीक हो ? ”
दीपक ने कहा” मैं तो ठीक हूँ, लेकिन सुना है कुछ आपकी तबियत ठीक नहीं चल रही है ?”
राजेश जी मुस्कुराए और कुछ कहने ही वाले थे ,तभी उन्हें खाँसी का फंदा लगा । काफी देर तक खाँसते रहे । चेहरा तमतमा गया । दीपक को यह सब देख कर बहुत दुख हो रहा था । फिर जब खाँसी शांत हुई तो राजेश जी ने कहा “बेटा ! अब इस उमर में यह सब तो चलता ही रहता है । आज सुबह ही घर में रसोई में कुछ सामान बनते समय धुँआ आँगन में फैल गया और उसके बाद से मुझे खाँसी का दौरा पड़ना शुरू हो गया है । कई दिन से यही स्थिति चल रही है। थोड़ा – सा भी धुँआ बर्दाश्त करने की स्थिति नहीं है।”
दीपक ने सहानुभूति प्रकट की “धुँए से तो आपको परहेज करना ही चाहिए।”
राजेश जी ने कहा “सवाल मेरे परहेज का नहीं है । सवाल तो हमारे आस-पड़ोस के परहेज का है ।”
दीपक बोला “मैं समझा नहीं ।”
राजेश जी ने कहा “अब दीवाली आने वाली है । लोग पटाखे खरीदेंगे ,लेकिन अगर वह यह सोच लें कि उनके पटाखों से जो धुँआ निकलेगा वह मेरे जैसे न जाने कितने लोगों को कितनी तकलीफ देगा, तो फिर मेरी समस्या का हल हो जाएगा ।”
इतना सुनने के बाद दीपक से फिर वहाँ बैठा नहीं गया । वह चिंता की मुद्रा में बाहर निकला । कुछ दूर चला और फिर कूड़ेदान के पास पहुँचकर उसने अपनी जेब में रखा हुआ पटाखों की लिस्ट वाला कागज निकाला और उसके टुकड़े-टुकड़े करके कूड़ेदान में फेंक दिया ।
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1 Like · 109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
असली अभागा कौन ???
असली अभागा कौन ???
VINOD CHAUHAN
रे ! मेरे मन-मीत !!
रे ! मेरे मन-मीत !!
Ramswaroop Dinkar
*कभी कटने से पहले भी,गले में हार होता है 【मुक्तक】*
*कभी कटने से पहले भी,गले में हार होता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
Manisha Manjari
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
संतोष तनहा
We become more honest and vocal when we are physically tired
We become more honest and vocal when we are physically tired
पूर्वार्थ
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
बाल कविता: चिड़िया आयी
बाल कविता: चिड़िया आयी
Rajesh Kumar Arjun
साइकिल चलाने से प्यार के वो दिन / musafir baitha
साइकिल चलाने से प्यार के वो दिन / musafir baitha
Dr MusafiR BaithA
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
कवि रमेशराज
*🔱नित्य हूँ निरन्तर हूँ...*
*🔱नित्य हूँ निरन्तर हूँ...*
Dr Manju Saini
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
छाया है मधुमास सखी री, रंग रंगीली होली
छाया है मधुमास सखी री, रंग रंगीली होली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2669.*पूर्णिका*
2669.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
Anand Kumar
हमने तो सोचा था कि
हमने तो सोचा था कि
gurudeenverma198
हर एकपल तेरी दया से माँ
हर एकपल तेरी दया से माँ
Basant Bhagawan Roy
किसी की परख
किसी की परख
*Author प्रणय प्रभात*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
नाम सुनाता
नाम सुनाता
Nitu Sah
"बुराई की जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
विश्व हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :.....
विश्व हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :.....
sushil sarna
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कवि दीपक बवेजा
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
लेखक
लेखक
Shweta Soni
जो चाहो यदि वह मिले,
जो चाहो यदि वह मिले,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...