*पचपन के हो गए आप (गीत)*
पचपन के हो गए आप (गीत)
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पचपन के हो गए आप, बचपन में कब आऍंगे
1
पचपन की यह उम्र बड़ी है, प्रौढ़ आप कहलाते
वृद्धावस्था चार कदम पर दिख जाएगी आते
क्या करना है शेष सोच लें, वरना पछताऍंगे
2
इच्छाओं का जाल बड़ा है, जकड़े आप पड़े हैं
सब कुछ यहीं छोड़कर जाना, जिस पर आप खड़े हैं
हाथ आपके इतने छोटे, क्या-क्या ले जाऍंगे ?
3
याद करो वह मस्ती निर्मल निश्छलता थी पाई
दाँव-पेंच की जग की कालिख में पर सभी गॅंवाई
बच्चों-सी मुस्कान आप मुखड़े पर कब लाऍंगे
पचपन के हो गए आप बचपन में कब आऍंगे
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रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451