पक्षी विज्ञानी सलीम अली
साल 2020 में प्रधानमंत्री महोदय ने ‘मन की बात’ में डॉ. सलीम अली की 125वीं जयंती का उल्लेख किए। हम पक्षियों के अवलोकन या बर्ड वॉचिंग की बात करते हैं, तो डॉ. सलीम अली का जिक्र होना लाज़मी है। ध्यातव्य है तथा विकिपीडिया या अन्य रपट के अनुसार, डॉ. सलीम अली का पूरा नाम डॉ. सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली था और लोग उन्हें ‘भारत के बर्ड मैन’ के रूप में जानते हैं। तारीख 12 नवंबर 1896 को जन्मे डॉ. अली एक भारतीय पक्षी विज्ञानी, वन्यजीव संरक्षणवादी और प्रकृतिवादी थे।
सलीम साहब देश के पहले ऐसे पक्षी वैज्ञानिक थे, जिन्होंने सम्पूर्ण भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षियों का सर्वेक्षण किया और पक्षियों पर ढेर सारे लेख और किताबें लिखीं। उनके द्वारा लिखी पुस्तकों ने भारत में पक्षी-विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक बार उन्होंने एक गोरैया का शिकार किया। लेकिन जब उन्होंने उस गोरैया को पास जाकर देखा तो वह उन्हें आम गोरैया से कुछ अलग लगी। उसकी गर्दन पर एक पीले रंग का धब्बा था। सलीम अली तुरंत उस पक्षी को अपने चाचा अमिरुद्दीन के पास लेकर गये पर उनके चाचा भी उनकी इस समस्या का हल नहीं बता पाए, पर सलीम ये जानने को आतुर थे कि आखिर वह पीले धब्बे वाला पक्षी है कौन सा? ऐसी ही जिज्ञासा उन्हें पक्षी विज्ञानी बनाया।