पंच दोहे
पंच दोहे….
पनप रहा है देश में, बहु आयामी आतंक।
नहीं अछूता अब बचा, राजा हो या रंक।1
राग द्वेष भ्रष्टाचार अरु, जाति धर्म का मेल।
इनकी कुत्सित चाल ने, सभी बिगाड़े खेल।2
रातों दिन हैं लूटते, नेता करके लोभ।
देख दुर्दशा राष्ट्र की, मन में बड़ा विक्षोभ।3
आज तोड़ना है हमें, सारा मायाजाल।
मिल करके हम आज सब, बदलें देश का हाल।4
आओ मिल कर हम लिखें, एक नया अध्याय।
उन्नति करने देश की, बन जायें पर्याय।5
प्रवीण त्रिपाठी
06 नवम्बर 2016