किराएदार
दिन की बहार हूँ,
बस एक किरायेदार हूँ।
न राजा न साहूकार
न ही जमींदार हूँ।
जो कुछ मिला रब से,
करता अंगीकार हूँ।
दो दिन की बहार हूँ,
बस एक किरायेदार हूँ।
कभी बेटा पति पिता,
मित्र या रिश्तेदार हूँ।
कभी अच्छा बुरा या
कभी बेकार हूँ।
जीवन के रंग मंच पर,
बस एक किरदार हूँ।
आया हूँ तो जाऊंगा,
कुछ तो कमाऊंगा ।
उसकी पनाह में हूँ,
राम नाम गुण ग्राह में हूँ।
नर तन दिया प्रभु ने,
बस एक उपहार हूँ मैं।
सारे के सारे अच्छे हैं,
उस रब के बच्चे हैं।
कभी न डाह भरूँ,
सबकी दुआ करूँ।
गुरू ने बताया अभी,
नफरत करो न कभी।
लखता अच्छाई सबमें,
करता सबसे प्यार हूँ।
दो दिन की बहार हूँ,
बस एक किरायेदार हूँ।
सतीश सृजन