नज़र…
नज़र…
मैं पीता नहीं तू पिलाने .लगी है
क्यूँ चेहरे से पर्दा हटाने लगी .है
रोकूं मैं कैसे बहकने से ख़ुद को
अब ये नज़र लड़खड़ाने लगी है
सुशील सरना
नज़र…
मैं पीता नहीं तू पिलाने .लगी है
क्यूँ चेहरे से पर्दा हटाने लगी .है
रोकूं मैं कैसे बहकने से ख़ुद को
अब ये नज़र लड़खड़ाने लगी है
सुशील सरना