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19 Oct 2021 · 1 min read

नौकरी-चाकरी पर दोहे

नौ खाये तो नौकरी, कहलायी तब यार
चार खाय तो चाकरी, कहता था संसार

पिसते हैं दिन रात अब, तनखा तन को खाय
देह गले धन कम मिले, फूटी क़िस्मत हाय

बैल बना बस आदमी, मनवा खोये धीर
करते-करते काम अब, वेतन हुआ शरीर

युग आया है आधुनिक, सेल फ़ोन का दौर
सर्विस में अब सेलरी, छाई चारों और

•••

_____________________________
पहले नौ जाने खाते थे, तो नौकरी कहा जाता था। फिर चार जने खाने लगे तो चाकरी हुआ। इसके बाद हालात बदले, तन्खा कमाने वाले के शरीर को खाने लगी, तो आमदनी को तन्खा कहा गया। फिर कमाते-कमाते तन वेतन होने लगा। अब नए ज़माने के छोरे-छोरी सेल फ़ोन के लिए ही जुगाड़ पानी कर रहे है। नौकरी को सर्विस और तन्खा, वेतन का नाम बदल कर अंगेज़ी में कर दिया है “सैलरी” ताकि कुछ तो अंग्रेज़ों की बराबरी कर सकें।

Language: Hindi
1 Like · 942 Views
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