*नैनों मे आंसुओं का सैलाब आ गया*
नैनों मे आंसुओं का सैलाब आ गया
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तेरे बगैर् हम खुश हैँ इस कदर मगर,
नैनो में आँसुओं का सैलाब आ गया।
रुसवां हो कर भी हम आये थे मगर,
पर हमें याद दिल का हिसाब आ गया।
तेरे बिना कहीं भी तो नहीं धरी ड़गर,
सामने तेरा चेहरा बैनिकाब आ गया।
हमने तो बदल लिया है खुद का नगर,
वहाँ भी वही छोड़ा जनाब आ गया।
लब पर होता तेरा नाम मनसीरत मगर,
हम पर हमीं का थोड़ा दवाब आ गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)