Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2022 · 1 min read

नैनन छाए मेघ /

नैनन छाए मेघ
हृदय की
बारिश नहीं हुई ।

आना-जाना
लगा बराबर
माथे पर बादल का ।
गिरगिट जैसा
लगा बदलने
रूप-कोर-काजल का ।
कल तक तो
गुलमोहर खिले थे,
केशों के
विन्यास सजे थे ।

अब गालों पर
नागफनी-सी
चुभती नहीं सुई ।

उठना-गिरना
लगा बराबर
हाथों के बचपन का ।
उल्लू जैसा
लगा जागने
भाव किसी उलझन का ।
कल तक
आँखों में शराब थी,
कल तक हर
पँखुड़ी गुलाब थी ।

अब होंठों पर
मुरझाई-सी
उगती छुई-मुई ।

चलना-रुकना
लगा बराबर
पाँवों के वाहन का ।
बिच्छू जैसा
डंक मारता
गलियारा साजन का ।
भाव हृदय
का,सरस,सजल था,
कल तक मन
भी, स्वच्छ धवल था ।

अब इसकी
कालिख पर केवल
पुतने लगी छुई ।

— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।

Language: Hindi
Tag: गीत
8 Likes · 6 Comments · 169 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हवलदार का करिया रंग (हास्य कविता)
हवलदार का करिया रंग (हास्य कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
क्रोधी सदा भूत में जीता
क्रोधी सदा भूत में जीता
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
Seema gupta,Alwar
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-181💐
💐प्रेम कौतुक-181💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इधर उधर न देख तू
इधर उधर न देख तू
Shivkumar Bilagrami
यह प्यार झूठा है
यह प्यार झूठा है
gurudeenverma198
तन पर तन के रंग का,
तन पर तन के रंग का,
sushil sarna
प्रेम ईश्वर
प्रेम ईश्वर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
The jaurney of our life begins inside the depth of our mothe
The jaurney of our life begins inside the depth of our mothe
Sakshi Tripathi
बन नेक बन्दे रब के
बन नेक बन्दे रब के
Satish Srijan
जिनकी खातिर ठगा और को,
जिनकी खातिर ठगा और को,
डॉ.सीमा अग्रवाल
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
Sanjay ' शून्य'
आपका अनुरोध स्वागत है। यहां एक कविता है जो आपके देश की हवा क
आपका अनुरोध स्वागत है। यहां एक कविता है जो आपके देश की हवा क
कार्तिक नितिन शर्मा
हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता
हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता
SPK Sachin Lodhi
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
गौरी।
गौरी।
Acharya Rama Nand Mandal
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
कितने छेड़े और  कितने सताए  गए है हम
कितने छेड़े और कितने सताए गए है हम
Yogini kajol Pathak
राजयोग आलस्य का,
राजयोग आलस्य का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुखी को खोजन में जग गुमया, इस जग मे अनिल सुखी मिला नहीं पाये
सुखी को खोजन में जग गुमया, इस जग मे अनिल सुखी मिला नहीं पाये
Anil chobisa
#पर्व_का_सार
#पर्व_का_सार
*Author प्रणय प्रभात*
संतोष करना ही आत्मा
संतोष करना ही आत्मा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सावन म वैशाख समा गे
सावन म वैशाख समा गे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नाम सुनाता
नाम सुनाता
Nitu Sah
Loading...