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28 Apr 2021 · 1 min read

नेता जन को चूसते

रक्षक ही भक्षक बने, टूट गई अब आस।
हवा तलक न दिला सके,कैसे हो विश्वास।।

देश के नेताओं से, पुछूं मैं कर जोर।
आखिर विपदा क्यों हुई, भारत में घनघोर।।

कोविद जन्मा था जहाँ, वहाँ नही अब शोर।
पर क्यों अपने देश में,थमे नहीं अब लोर (आँसू)।।

हर पल है भारी बना, पल पल बढ़ता शोक।
नेता जन को चूसते, जैसे चूसे जोंक।।

लाशों की गिनती नही, भरे पड़े शमशान।
फिर भी नेता मौज में,खुद ही बने महान।।
✍️जटाशंकर”जटा”

Language: Hindi
494 Views
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