नेताजी (सुभाष चन्द्र बोस )
आजादीके लिए गुमनाम हुएं।
अपना सर्वस्व देश के नाम किए ।
ये नारा सरेआम दिए,
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
ये नारा लगे बहुत ही प्यारा ।
झोंक दिए अपना तन- मन सारा।
वो भारत माँ का दुलारा।
हालत उस समय बद से बद्तर थी।
गुलामी के जंजीर ,देश के अंदर थी।
धूल में धूमिल कर रहे थे अंग्रेज।
मौलिकता, अधिकार,देश।
नेताजी जी बोले पडें अब बस।
जुड़े होने का जज्बाँ था,
देश के भीतर हाय- तौबा था।
जज्बात , जुनून साध लिए ,
ये नारा सरेआम दिए।
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
ये नारा लगे बहुत ही प्यारा ।
झोंक दिए अपना तन -मन सारा ,
वो भारत माँ का दुलारा।
स्वाधीनता के लिए , गुमनाम हुएं,
अपना सर्वस्व, आन्दोलन नाम किए।_ डॉ. सीमा कुमारी ,
बिहार (भागलपुर )दिनांक-23-1-
022स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।