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26 Mar 2023 · 3 min read

नेतागिरी का धंधा (हास्य व्यंग्य)

नेतागिरी का धंधा (हास्य व्यंग्य)
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सबसे अच्छा धंधा नेतागिरी का है। जिसको कोई नया काम धंधा शुरू करना है, मेरी सलाह है कि वह नेतागिरी के बिजनेस में आए। कमाई की दृष्टि से देखें तो कमाने वालों ने नेतागिरी के बिजनेस में आकर हजारों करोड़ रुपयों का साम्राज्य खड़ा कर दिया है। साधारण एमपी एमएलए भी अपवादों को छोड़ दीजिए, दस- पांच करोड़ से कम नहीं कमाता । छोटा-मोटा लाखों में खेलने वाला नेता तो थोक के भाव में जहाँ जाओ, सैकड़ों की संख्या हैं। हाँ ,इतना जरूर है कि इसमें समय लगता है। यह बिजनेस श्रमसाध्य है और समय-साध्य है।
लड़के को नेतागिरी में घुसाने के लिए सबसे पहला काम होता है ,उसको किसी नेता के चरणो में बिठा दो। उसका चमचा बना दो । अगर लड़के ने बढ़िया तरीके से चमचागिरी की, तो फिर तरक्की करने में देर नहीं लगती। चमचागिरी माने यह नहीं कि आज चमचा बने और कल से भाषण देना शुरू हो जाएगा । चमचागिरी माने नेता के झूठे कप- प्लेट उठाना, नेता के पैरों में पहनने के लिए ढूँढ कर झटपट चप्पल लाना।
यह भी कोई जरूरी नहीं कि आप किसी नेता के पास अपने लड़के को लेकर जाएं और कहें कि साहब ! आप इसे अपना चमचा बना लीजिए और वह मान जाए। नेता कह सकता है मेरे पास तो पहले से ग्यारह चमचे हैं ,बारहवाँ पालकर क्या करूंगा ? कई बार ऐसा भी होता है कि नेता के पास छह चमचे पहले से हैं ,आपका लड़का सातवाँ चमचा बनकर वहाँ पहुँच गया और बाकी छह चमचे सोचने लगे कि दाल-रोटी में हिस्सा बाँटने के लिए यह सातवाँ चमचा कहाँ से आ गया ? वह भगाने की फिराक में लगे रहेंगे।
प्रारंभ में स्ट्रगल करना पड़ता है, संघर्ष होता है। लेकिन एक बार आदमी ने पैर जमा लिए तो आगे बढ़ता चला जाएगा। शुरू में नेता का माइक पकड़ेगा । बाद में नेता को एक तरफ करेगा और नेता का माइक अपने हाथ में ले लेगा । यही होता है।
लेकिन कई बार यह बिजनेस फेल भी हो जाता है। इसलिए मेरी एक दूसरी राय है कि नेतागिरी के बिजनेस में पड़ने की बजाय जो लोग नेतागिरी कर रहे हैं ,उनको नेतागिरी कराने का बिजनेस शुरू किया जाए। इसको “पॉलिटिकल इवेंट मैनेजमेंट” कहा जाना चाहिए। आजकल सब कुछ राजनीति में इवेंट ही है । कार्यक्रम है, समारोह है ।चाहे धरना- प्रदर्शन हो, जलूस हो, सभा हो- सब कुछ एक इवेंट है।
तो आप ‘इवेंट मैनेजमेंट’ का काम पकड़िए । नेता कहे “साहब हमको पाँच सौ लोगों का जुलूस निकालना है ।”आप कहिए “ठीक है। पाँच सौ कार्यकर्ता भेज देंगे।”
दुकान खोल कर बैठिए अथवा ऑनलाइन बिजनेस भी इवेंट मैनेजमेंट का चल सकता है। हर तरह का कार्यकर्ता आपके पास होना चाहिए। कुर्ता- पाजामा से लेकर पैंट- शर्ट तक का। जिसकी आवश्यकता हो, उसकी सप्लाई करें। बैनर उठाने वालों, विरोध प्रदर्शन के लिए ,आभार के लिए, वाहवाही के लिए, मुर्दाबाद के लिए ,जितने लोग हाथों में तख्तियाँ लिए हुए चाहिए, आप सौदा पकड़िए । कार्यकर्ता आपके पास होना चाहिए । आपके पास माँग आए, तो जलूस के स्वागत के लिए आप एक सौ ग्यारह स्थानों पर तीन-तीन कार्यकर्ता उपलब्ध कराइए । उनके हाथों में फूलों की मोटी मालाएँ होनी चाहिए ।
नेतागिरी के बिजनेस में पेमेंट कोई विषय नहीं है । यह सत्तर लाख से ज्यादा लुटाने की सामर्थ्य रखने वालों का खेल है। पेमेंट में विवाद नहीं है । बस क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। धंधा निश्चित रूप से चमकेगा, मैं गारंटी देता हूं ।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश,
मोबाइल 99976 15451

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