नीरो तो नहीं हम
दूर-दूर तक
फैली हुई हैं
जब वही
बर्बादियां!
कैसे कह दें
आ गई हैं
देश में
आजादियां!
अब नीरो तो
नहीं हम कि
चैन की
बंशी बजाएं!
धूं-धूं कर
जली जा रही हैं
जबकि सारी वादियां!
Shekhar Chandra Mitra
दूर-दूर तक
फैली हुई हैं
जब वही
बर्बादियां!
कैसे कह दें
आ गई हैं
देश में
आजादियां!
अब नीरो तो
नहीं हम कि
चैन की
बंशी बजाएं!
धूं-धूं कर
जली जा रही हैं
जबकि सारी वादियां!
Shekhar Chandra Mitra