” निश्चय “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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हम उजाला ढूंढते हैं ,
हम सहारा ढूंढते हैं !
नाव है मझधार में ,
हम किनारा ढूंढते हैं !!
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पथ में रोधक आये ,
हम उसे भी झेल लेंगे !
बाधाओं को छोड़ पीछे ,
हम गगन को भेद देंगे !!
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हम दिशा को ढूंढते हैं ,
हम घटा से जुझते हैं !
नाव है मझधार में ,
हम किनारा ढूंढते हैं !!
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धैर्य धर्म है साथ मेरे ,
साथी भी जुट जायेंगे !
छोटी छोटी बाधायें ,
क्षण में दूर भगाएंगे !!
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हम नया कुछ ढूंढते हैं ,
कालिमा को भूलते हैं !
नाव है मझधार में ,
हम किनारा ढूंढते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “