निरापद (कुंडलिया)*
निरापद (कुंडलिया)*
आते संकट रात – दिन ,जीवन में अविराम
कौन निरापद रह सका ,मिला किसे आराम
मिला किसे आराम ,सदा ही चिंता खाती
एक मुसीबत बाद , दूसरी दौड़ी आती
कहते रवि कविराय , कन्हैया पार लगाते
डूबी कभी न नाव , खिवैया बनकर आते
निरापद = जिसमें कोई संकट या आपत्ति न हो ,सुरक्षित
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451