*नियति*
आज राधिका बहुत खुश थी।उसके बेटे का रिश्ता तय हो गया था। 1 महीने बाद बेटे की शादी की तारीख भी पक्की हो गई थी। वह मन ही मन में पति को याद करके उदास हो रही थी क्योंकि 4 वर्ष पूर्व उसके पति का देहांत हो गया था। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा बीते वक्त को याद करते हुए सोचने लगी कैसे कुछ घंटे में उसका पति उसके सामने ही डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था पूछने पर डॉक्टरों ने बताया था अटैक आया है ! घर में भीड़ इस कदर जमा थी कि सब के मुंह से यह शब्द निकल रहे थे कैसे हुआ ? कब हुआ ? अभी कुछ देर पहले ही तो हमारी मुलाकात हुई थी हां हां मेरी भी बात हुई थी सब ने कहा भगवान के आगे किसकी चली है तू हौसला रख बेटी तेरे भी यह बेटा तेरी जिंदगी में खुशियों के रंग भर देगा। तू रोएगी तो इसे कौन चुप करेगा। उसको अपने बेटे का ख्याल आते ही ढांढस सा बनने लगा खैर वक्त गुजरने लगा दर्द को सीने में छुपाए मां बेटे ने एक दूसरे का साथ निभाते निभाते चार वर्ष बिता दिए आज फिर खुशियों ने उनकी दहलीज पर कदम रखा और मां बेटे की खुशहाल जिंदगी के सपने बुनने लगी। बेटे ने मां को आवाज लगाते हुए कहा मां मुझे बुखार सा महसूस हो रहा है मां ने कहा बेटा जा डॉक्टर से अभी दवाई ले आ वायरल फीवर चल रहा है। ठीक है बेटे ने मां से कहा मन में दवाई लेने जा रहा हूं खाना आकर खाऊंगा मां ने कहा ठीक है मां ने खाना बनाया मगर खाया नहीं बेटा का इंतजार करने लगी बेटा बेटा दवाई लेकर वापस आ गया। मां मेरा मन नहीं कर रहा आप खाना खा लो कह कर बेटा अपने बेड पर लेट गया। मां ने आकर देखा सर पर हाथ फेरते हुए धीरे से कहा बेटा थोड़ा सा खा लो! लेकिन बेटा निरुत्तर सा लेट रहा। मां ने सोचा शायद दवा की वजह से नींद आ रही है सोच कर चली गई। लेकिन मां का मन नहीं लगा वह फिर बेटे के कमरे में आ गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसके बेटे के मुंह से झाग निकल रहे थे वह दौड़ती हुई ऐसा ऐसी भागी और पड़ोस में से बेटे के दोस्त को बुला लाई दोनों उसे अस्पताल ले आए। डॉक्टर ने फिर वही जवाब दिया सर की नस फट गई है अब नहीं रहा !सारी भीड़ एक दूसरे का मुंह ताक रही थी और कह रही थी कब हुआ कैसे हुआ ? किस डॉक्टर से दवाई ली क्यों ली और अस्पताल में जो भी उसे महिला की व्यथा सुनता वहीं रो पड़ता लेकिन नियति को तो यही मंजूर था।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)