नियति में जो लिखा वो होकर ही रहेगा ।
जो मिल नही सकता उसके पीछे यूँ भागों नही ।
बेवज़ह उसे याद करके रातो को यूँ जागो नही ।।
नियति में जो लिखा वो होकर ही रहेगा यार
उन्हें बेवफ़ा कह के अपशब्द तो यूँ दागों नही।।
आँखों के रास्ते से होकर वो दिल मे उतर गए
इस दिल पर हक है तेरा इसे तुम यूँ मांगो नही ।।
किसी से हँस के बातें करो या करो मस्ती तुम
यही कहूंगा रिश्ते का दायरा तुम यूँ लांघो नही ।।
जो मन तुम बना बैठी हो हमे छोड़ जाने का ।
तो फिर उस मोहब्ब्त का अलाप यूँ रागों नही ।।
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)