नियति का खेल
नदी की बहती धारा
नही उसका किनारा।1।
चाँद से रोशन चाँदनी
पूनम रात का सहारा।2।
फूल में बैठे हुए भँवरे
रस ले फूल का सारा।3।
गर करुणामयी हो जीवन
ना करो जीवन से किनारा।4।
सुख दुख,दिन रात सब होते हैं
ये सब नियति का खेल हैं सारा।5।
®आकिब जावेद